जबलपुर से संतोषजैन की रिपोर्ट - इस पंचम काल में साक्षात मोक्ष तो नहीं है ,पर आज भी प्रभु वाणी से निश्रित धर्म सूत्रों एवं गुरुदेव की वाणी का अनुसरण कर हम अपने दोष दुर्गुण दुर्बलताओं से मुक्त होकर ,अच्छाई के पथ को अपनाकर मोक्ष मार्ग पर चल सकते हैं .उक्त धर्म वचन मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने मोक्ष कल्याणक के अवसर पर व्यक्त किए . आज विश्व शांति महायज्ञ का हवन जीवन के रूपांतरण का भाव यज्ञ बने .इसके लिए एक एक आहुति के साथ अपने दोष दुर्बलताओं को छोड़ना होगा .संसार वर्धन के कारणों राग द्वेष से मुक्त होने पर ही कर्मो से मुक्ति होती है. पंचम काल में मुक्ति भले ना हो पर मोक्षमार्ग अवश्य है . जीवन को परिष्कृत कर लेना ही जीवन की सार्थकता है ,अतः जीवन को अच्छा बनाने का संकल्प लीजिए .मैं यह नहीं कहता आप हजार मील चलने का संकल्प लीजिए, मैं तो यह कहता हूं एक-एक कदम चल कर अपनी मंजिल पा लीजिए. हमारे हाथ का प्रकाश हमेशा सदा आगे रहता है . सही दिशा में किया गया छोटा सा पुरुषार्थ भी बड़ा प्रभाव छोड़ता है. गलत दिशा में किया गया बड़ा प्रयास भी व्यर्थ होता है . विधानाचार्य ब्र.त्रिलोक जी के अनुसार आज सूर्य की प्रथम किरण के साथ ही प्रतिष्ठाचार्य ब्र. अभय जी ने मोक्ष कल्याणक की विधी प्रारंभ की .पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी ने मोक्ष जाने की पूर्व की भाव दशा का ध्यान पूर्वक धीर गंभीर वाणी का वर्णन किया. गहरे ध्यान में डूब कर मोक्ष कल्याणक साकार हुआ. प्रभु के मोक्ष जाते ही निर्धूम अग्नि प्रज्वलित हुई ,और सारा पंडाल करतल ध्वनि से गूंज उठा .इस अवसर पर मुनि श्री ने पंचकल्याणक समिति पिसंहारी मडिया ट्रस्ट वर्णी गुरुकुल ब्राह्मी आश्रम प्रतिभास्थली ब्र.अभय जी जिनेश जी नरेश जी ब्र. त्रिलोक जी एवं इंद्र इंद्राणीयो संगीतकार रामकुमार एवं पुजारियों को मंगल आशीर्वाद देते हुए हुए मुनि श्री ने कहा आपके पावन पुण्य भावो एवं सकारात्मक सहयोग से यह पंचकल्याणक सानंद संपन्न हुआ. आआर्यिका संघ एवं व्रती ब्रह्मचारी भाइयों एवं बहनों की उपस्थिति से इस पंचकल्याणक में चार चांद लग गए, इस अवसर पर मुनि श्री के सानिध्य में विद्या प्रमाण निकेतन का शिलान्यास ब्रह्मचारी जिनेश जी ने करवाया कार्यक्रम का सफल संचालन अमित पडरिया ने किया

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मोक्ष कल्याणक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सानंद संपन्न संसार वर्धन के कारण राग द्वेष को छोड़ने पर ही कर्मों से मुक्ति होती है मुनि श्री प्रमाण सागर जी
मोक्ष कल्याणक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सानंद संपन्न संसार वर्धन के कारण राग द्वेष को छोड़ने पर ही कर्मों से मुक्ति होती है मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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